Rajani katare

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बंधन जन्मों का भाग -- 19



                   "बंधन जन्मों का" भाग- 19

पिछला भाग:--
तू नहीं आता तो मैं भी आज के दिन न जा पाती.....बातें करते करते घर आ गया आर्यन 
गाड़ी रखने लग गया... इतने में मम्मी के चीखने 
की आवाज सुनाई दी दौड़कर अंदर गया......
अब आगे:--
अंदर जाकर देखता है माँपंलग पर लेटी हैं 
पाँव में पट्टी बंधी है... शीला की आँखों में 
आँसू....माँऽऽ ये क्या हुआ...? 
कैसे हो गया...?तू पहले बैठ जा बताती हूँ 
घबराने की कोई बात नहीं है... बड़ा हादसा 
टल गया मैं बाथरूम गयी थी सो पैर फिसल 
गया... शुक्रिया ईश्वर का और मेरी बहू के 
भाग्य का मैं बच गयी... हड्डी वड्डी टूट जाती 
इस उमर में तो क्या करती... देख खुद से उठ
कर हल्दी गर्म करके लगा ली... एक दो दिन 
में ठीक हो जायेगा... हम लोग तो घबराएंगे ही 
न... ईश्वर का बहुत बहुत धन्यवाद...शीला माँ 
को दर्द की दवाई जरुर दे दो...

चलो तुम लोग आराम करो अब मैं ठीक हूँ.....
दोनों बात करतें हैं बाल बाल बच गयीं माँ जी.....
सही में ईश्वर ने बहुत रक्षा करी.....
शीला मुझे कल निकलना भी है.....
कोई बात नहीं माँ जी ठीक हैं आप चिंता न करें....

दूसरे दिन आर्यन ड्यूटी पर चला जाता है...
शीला सबेरे के अपने सब काम कर चुकी थी...
हल्दी गर्म करके माँ जी के पाँव में लगाती है...
अभी दो तीन दिन तो त्यौहार में ही निकल जाना 
है फिर सारी तैयारियां भी करना है... विमला से 
बात करके उसी के साथ जाकर खरीदारी कर
लूंगी...माँ जी आपके लिए मूंग दाल की खिचड़ी बना दूं क्या...? हाँ कल बहुत गरिष्ठ खाना हो 
गया खिचड़ी ही बना दे हाँ अन्नकूट है सो अठवाई
तो बना ही लेना ओर भी कुछ थोड़ा थोड़ा सा
बना लेना......

कल तो स्कूल जाना ही है.... शाम को वहीं से बाजार जाकर कुछ खरीदारी कर लूंगी....
रोज शाम को जाकर थोड़ी थोड़ी खरीदारी कर 
लूंगी... फिर रविवार को अच्छे से कर लूंगी....
विमला से बात करती है रविवार को अपन जल्दी चलेंगे बिटिया को भी साथ ले लेंगे... उसकी पसंद की खरीदारी हो जायेगी.....

रविवार को जाकर खूब खरीदारी करी साड़ियां
जेवर सभी कुछ बहुत अच्छे से पसंद पसंद का खरीद लिया... चलो आज तो बहुत सारा सामान खरीद गया... बस थोड़ा बहुत बचा है सो अगले
रविवार को ले लेंगे.......

सारी खरीदारी हो गयी...ग्यारस के दो दिन बाद
का मुहूर्त है सो मेहमान भी आ जाएंगे.....
ये तो अच्छा माँ जी ने दो ही दिन का कार्यक्रम रखवाया... एक ही दिन में तेल, हल्दी,मागरमाटी, देवी पूजन, मंडप सभी कुछ... दूसरे दिन शादी
बिदाई.... दो दिन पहले ही आर्यन आएगा....

तुलसी विवाह हुआ दूसरे दिन ही रात रात तक
मेहमान भी आ गये.... दूसरे दिन सबेरे से ही 
बहुत चहल-पहल है एक के बाद एक कार्यक्रम 
होते चले जा रहें हैं... माँ जी का मेनेजमेंट बड़ा तगड़ा है...मंडप की पंगत भी देर रात तक चली
ढोलक की थाप पर गाना बजाना भी चलता रहा
बुआ जी की आवाज सुनाई दे रही थी कुछ इस
तरह बन्ना गा रहीं थीं....
    सुबह का वक्त हुआ, शाम का तारा निकला,
    प्यारे बन्ने को मैंने सेहरा भी मंगाया है,
    उसकी कलगी में छिपा राजदुलारा निकला,
    सुबह का वक्त हुआ......

बुआ जी बहुत बढ़िया सुनाया आपने एक ओर
सुनाईये न... हाँ काय नहीं देखो तुम ओरें अच्छे से गवईओ हमाए संगे.....
    बन्ना जी हमें नींद नहीं आएगी,
    सुना है तेरी महफ़िल में रतजगा है,
    बन्ना जी तुम सेहरा बांधोगे,
    सुना है तेरे सेहरे में रत्न जड़ा है,
     बन्ना जी हमें नींद.....

चलो रे बहुत रात हो गयी उठो लल्ली सबन 
को बुलौए को बताशा तो बांट दे.....
कल तो सकारे उठने पड़ है काएसे दिनंई में 
बरात लगने आये... संजा तक तो बिदा सोई 
हो जयी है......
क्रमशः--

कहानीकार-रजनी कटारे
       जबलपुर ( म.प्र.)

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1 Comments

Seema Priyadarshini sahay

10-Feb-2022 04:19 PM

Nice

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